शुक्रवार, जुलाई 22, 2011

आप आकर मेरे गाँव की हालत देखो........

 यूँ ना अखबार में पढ़ कर के इबारत देखो
आप आकर मेरे गाँव की हालत देखो
व्यर्थ जायेगी शहादत वतन परस्तों की
भूख से मरते है जो उनकी शहादत देखो
यहाँ तरसते है बच्चे भी खेलने के लिए
शहर में बाँट दी, कुछ लोंगो ने दहशत देखो
उजाड़े गाँव और आबाद शहर कर डाले
आप पर्यावरण से उनकी मोहब्बत देखो
छिपेगी अब न हकीकत दिखा के झूठे सब्ज़-बाग
उनकी चालाकियाँ और उनकी तिजारत देखो
जब भी दिल होता है बैचैन बहुत ऐसे में
जी में आता किसी बच्चे की शरारत देखो

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