गुरुवार, जुलाई 28, 2011

शिवरात्रि साल में दो बार क्यों आती है......

मित्रवर!.. अपने प.पू. गुरुदेव की वाणी के अनुसार मैं आपके प्रश्न का उत्तर
देने का प्रयत्न कर रहा हूँ. पहला प्रश्न कि शिवरात्रि साल में दो बार
क्यों आती है.. मुझे लगता है कि शायद आप नव रात्र के बारे में पूछ रहे
हैं..एक तो जब ग्रीष्म ऋतु समाप्त होती है और शिशिर ऋतु का आरम्भ होता है..तथा दूसरी जब जाड़ा समाप्त होता उसे ग्रीष्म ऋतु की शुरुवात  होती है, जिसे वासंतीय नवरात्र कहते हैं. पहले तो ये नव रात्र कहे जाते हैं न की नव रात्री, रात्र का अर्थ समय होता है. दो नवरात्र होने का कारण वैज्ञानिक भी है. शारदीय नवरात्र के पूर्व नया मौसम शुरू होने वाला होता है, बरसात के बाद का समय होता है, लोगों को अपने को नए मौसम के अनुरूप ढालने अपनी दिनचर्या में बदलाव लाने हेतु और खान-पान में बदलाव लाना जरूरी होता है. क्योंकि गर्मी और बरसात में मनुष्य की जठराग्नि कमजोर होती है.. जाड़े में भूख ज्यादा लगती है जठराग्नि बढ़ जाती है..वासंतीय नवरात्र में ठीक इसके विपरीत स्थिति होती है.. एक मौसम समाप्त होकर नया मौसम की तैय्यारी करनी होती है.. इसलिए हमारे ऋषि-मुनियों ने ये दो नवरात्र का विधान रखा. ताकि लोग मौसम परिवर्तन के अनुकूल अपनी दिनचर्या अपने खानपान को ठीक करले.. और नवरात्र में उपवास और व्रत का भी विधान इसीलिए बनाया कि वे अपना पाचन-तंत्र सही करलें.. रात्र नौ ही क्यों होते हैं.. इसके  पीछे भी कारण हैं. मनुष्य के अंदर नौ शक्तियां सोई पड़ी रहती हैं..साल में दो बार नवरात्र के दौरान व्रत-उपवास के साथ -साथ अपनी उन नव शक्तियों को भी जाग्रत करने का अवसर मिलता है.. इन सबको धर्म से जोड़ दिया गया क्यों कि मनुष्य धर्म-भीरु है.. तो उसका पालन करेगा और अदृश्य शक्ति से अपने मन को जोड़ेगा .. तो उसे उसका
सहारा भी मिलेगा.. और अपना ध्यान भी केन्द्रित कर
सकेगा.....धन्यवाद!!!

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