मंगलवार, अगस्त 30, 2011

साधु-सन्यासी जंगलो पहाड़ो पर क्यों चले जाते है ?



















 

आपको पता है कि साधु सन्यासी एकांत में, मानव सभ्यता से 
दूर क्यों चले जाते है? किसलिए?जहाँ मनुष्यों की भीड़ होती है
वहां उतनी ही शुद्ध और अशुद्ध तरंगे विधमान रहती है | भीड़ में 
प्रायःदूषित तरंगो की मात्रा ही अधिक पाई जाती है|आपने अनुभव
किया होगा कि भीड़ से लौटने पर आप थोड़े कम होकर लौटते है | 
भीड़ थकाने वाली होती है | अगर कभी बहुत बेवकूफी का काम 
करवाना हो तो अकेले एक आदमी से नहीं करवाया जा सकता | 
भीड़ से करवाया जा सकता है | भीड़ बुद्धि को भी क्षीण कर देती है | 
अगर मस्जिद में आग लगवानी हो , मंदिर तोडवानी हो तो भीड़ 
से करवाया जा सकता है | एक- एक से नहीं | आश्चर्य की बात तो
यह है कि आप उसी भीड़ में से किसी एक को कहे कि करो तो वह 
कहेगा कि कुछ जंचता नहीं | लेकिन वही आदमी जब भीड़ में होगा
तब बुद्धि का तल नीचे गिर जायेगा | इसलिए संसार में जो भी पाप 
हुए है, जो बड़े अत्याचार हुए है वो भीड़ ने किये है , व्यक्तियों ने नहीं | 
तो तात्पर्य यह की साधू-सन्यासियों के जंगलो-पहाड़ो पर जाने का 
एकमात्र उदेश्य यही है कि वे भीड़ के दूषित वातावरण और अशुद्ध उर्जा
तरंगो से बचे तथा भीड़ में होने वाले अपने उर्जा व्यय को भी बचाए |
यही कारण था कि मोहम्मद साहब पर्वत पर चले गए, बुद्ध और महावीर
जंगलो में भटक गए | क्राइस्ट का तो पुरे २३ साल का पता ही न चला | 
ईसाइयो के पास कोई कथा ही नहीं है कि क्राइस्ट पुरे २३ साल तक कहाँ रहे,
क्या करते रहे | केवल ३ साल की कथा है और वह भी मरने के ३ साल पहले की |

शुक्रवार, अगस्त 26, 2011

ईश्वर को प्रसन्न रखने के उपाय............















हमें विवेक की ऑंखें खलेकर यह देखना चाहिए
कि प्रशंसा करने, गिड़गिडाने, नाक रगडऩे या 
रिश्वत देने से हम किसी बुद्धिमान संसारी का 
भी प्यार, अनुग्रह प्राप्त नहीं कर सकते तो ईश्वर
को इस प्रकार के बहकाने से कैसे संतुष्ट किया 
जा सकेगा ?पूजा-उपासना का मतलब ईश्वर को,
ईश्वरीय आयोजन एवं निर्देश को स्मृति पटल पर
मजबूती से जमा लेना तथा अपने में अधिकाधिक
 निर्मलता विवेकशीलता उत्पन्न करना भर है, यह
अपना नित्य कर्म है जिससे आत्म-शोधन और 
आत्मजागरण का प्रयोजन भर पूरा होता है। ईश्वर
इतने भर से संतुष्ट नहीं हो सकता । उसकी प्रसन्नता 
के दो बिन्दु हैं । प्रथम है, अपनी विचारणा, मनोभूमि, 
गुण, कर्म, स्वभाव की श्रृंखला एवं गतिविधियों में 
अधिकाधिक पवित्रता, उदारता, उत्कृष्टता एवं
आदर्शवादिता का समावेश । द्वितीय है, लोकमंगल
के लिए समर्पित किए गए बढ़-चढ़ कर अनुदान ।


शुक्रवार, अगस्त 19, 2011

देश हमारा भगवान है..........

























माटी कुमकुम पानी अमृत पवन जहाँ का प्राण है,
ऐसा देश हमारा जिसके कण कण मे भगवान है।
ऋषियों की पावन धरती रचे जहाँ वेद पुराण,
व्यास वेद ने दिया जहाँ से अखिल विश्व को गीता ज्ञान।
राम यहाँ का नाम है ऐसा डाकू भी बन जाते संत,
नारी की झिड़की को सुनकर दीवाने पाते सत्पंथ
कालिदास ,तुलसी ,सुर की ऐसी ही पहचान है
ऐसा देश हमारा जिसके कण कण मे भगवान है।

बुधवार, अगस्त 17, 2011

कड़वे बोल लेकिन सत्य ......

!! अपना-अपना करो सुधार , तभी मिटेगा भ्रष्टाचार.. !!
सार्वजनिक जीवन में स्वीकृत मूल्यों के विरुद्ध आचरण को भ्रष्ट आचरण समझा जाता है... आखिर यह भ्रष्टाचार क्या है? इस आन्दोलन में डाक्टर,इंजिनियर ,वकील,पत्रकार,छुटपुट नेता, पढ़े लिखे बेरोजगार नवयुवक शामिल होकर प्रतिशोध केवल सरकार के विरुद्ध कर रहे हैं और ऐसा प्रतीत होता है जैसे केवल सरकार ही भ्रष्ट है और बाकी सारे ईमानदार.. सरकार और सरकारी तंत्र से जुड़े बहुत से व्यक्ति तो निश्चित रूप से भ्रष्ट पाए गए है परन्तु इस जन आन्दोलन में शामिल होने वाले कितने ऐसे हैं जिनमे भ्रष्टाचार समाहित नहीं ?. क्या रिटेल मेडिकल स्टोर वाले बिना फार्मेसिस्ट के दवा नहीं बेच रहे हैं ? क्या किराना स्टोर वाले नकली व मिलावटी सामान नहीं बेच रहे हैं ? क्या दूध और दूध से निर्मित खाद्य पदार्थ बेचने वाले मिलावट नहीं कर रहे है ? क्या प्राईवेट डाक्टर जनता को लूट नहीं रहे हैं ? क्या वकील अपने मुवक्किल को चूस नहीं रहे हैं ? क्या धर्म की आड़ में रंग बिरंगे कपड़े पहनकर कई बाबा जी अपना व्यवसाय नहीं चला रहे हैं? क्या प्राईवेट क्षेत्र में तकनीकी शिक्षा बेचने वाले छात्रों को धोखा नहीं दे रहे हैं ? क्या मीडिया के सभी लोग ईमानदार है? प्राईवेट स्तर पर ट्यूशन का काम करने वाले मास्टर क्या अपने छात्रों को धोखा नहीं दे रहे हैं? क्या पेट्रोल बेचने पम्प मालिक डीजल पेट्रोल में मिलावट नहीं कर रहे हैं ? कितने ऐसे हैं जिन्होंने अपने बच्चों की शादी में दहेज़ लिया दिया ना हो ? अंततः सारे देश में ऐसे अनेक भ्रष्ट आचरण में लिप्त लोग पाए जाते हैं. ..इन सबसे भ्रष्टाचार कौन मिटाएगा.. ? दूसरों की गणना दोषी के रूप में करना सरल है. बहुत सरल उपदेश सुनना किन्तु कठिन करके दिखलाना ...वास्तविक पुरुषार्थ है --अपना-अपना करो सुधार , तभी मिटेगा भ्रष्टाचार..

सोमवार, अगस्त 15, 2011

वन्दे मातरम् ..............

























वन्दे मातरम्
सुजलां सुफलां मलयजशीतलाम्
शस्यशामलां मातरम् ।
शुभ्रज्योत्स्नापुलकितयामिनीं
फुल्लकुसुमितद्रुमदलशोभिनीं
सुहासिनीं सुमधुर भाषिणीं
सुखदां वरदां मातरम् ।। १ ।। वन्दे मातरम् ।
कोटि-कोटि-कण्ठ-कल-कल-निनाद-कराले
कोटि-कोटि-भुजैर्धृत-खरकरवाले,
अबला केन मा एत बले ।
बहुबलधारिणीं नमामि तारिणीं
रिपुदलवारिणीं मातरम् ।। २ ।। वन्दे मातरम् ।
तुमि विद्या, तुमि धर्म
तुमि हृदि, तुमि मर्म
त्वं हि प्राणा: शरीरे
बाहुते तुमि मा शक्ति,
हृदये तुमि मा भक्ति,
तोमारई प्रतिमा गडि
मन्दिरे-मन्दिरे मातरम् ।। ३ ।। वन्दे मातरम् ।
त्वं हि दुर्गा दशप्रहरणधारिणी
कमला कमलदलविहारिणी
वाणी विद्यादायिनी, नमामि त्वाम्
नमामि कमलां अमलां अतुलां
सुजलां सुफलां मातरम् ।। ४ ।। वन्दे मातरम् ।
श्यामलां सरलां सुस्मितां भूषितां
धरणीं भरणीं मातरम् ।। ५ ।। वन्दे मातरम्

रविवार, अगस्त 14, 2011

वन्दे मातरम्


देश पूजा ही सबसे बड़ी पूजा है, देश के हित में किया गया काम ही सबसे बड़ा काम है !!

वो मौत जिन्दगी से बड़ी होगी जो देश के लिए हो और तिरंगे का कफ़न माँ की गोद के सामान है !!!

वन्दे मातरम्

हज़ार योद्धाओं पर विजय पाना आसान है, लेकिन जो अपने ऊपर विजय पाता है वही सच्चा विजयी है।

शुक्रवार, अगस्त 12, 2011

नीतियाँ .................

ब्रह्ममहर्षि वशिष्ट:-हंस दो पंखो के सहारे ही उड़ान भर सकता हैं ठीक वैसे ही मनुष्य  अपनी जीवन रूपी यात्रा एवं उड़ान कर्म और ज्ञान रूपी दो पंखो के सहारे ही कर सकता है  
बृहस्पति :-कार्य का आरम्भ करो तो उसका अंत करके ही विश्राम करो अन्यथा कार्य ही तुम्हारा अंत कर देगा.. 
शुक्र:
ये तो कार्य का परिणाम ही बता सकता है कि कार्य का आरम्भ शुभ था कि अशुभ ............
भगवान परशुराम :-शिक्षक से आचार्य का अधिकार 10 गुना हैं ,पिता का अधिकार आचार्य से 100 गुना हैं ,परन्तु माता का अधिकार पिता से सहस्त्र गुना अधिक है .

गुरुवार, अगस्त 11, 2011

ये है अपना भारत देश ..............




















पहला मुद्दा
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एक सैनिक देश के लिए अपनी जान बिना शर्त दे देता है. यह भी नहीं सोचता की उसके बाद उसके परिवार का क्या होगा. उसके शहीद होने पर १ लाख की आर्थिक मदद का भरोसा दिलाती है सरकारी निति, पर सालों तक उस शहीद के घर वाले धक्के खाते रहते है दफ्तरों के, सेना मुख्यालय और कमान तो तुरंत सभी कुछ निबटा देती है पर, जब बात वो मदद देने की आती है तो उस शहीद की फाइल सरकारी दफ्तरों की मेजों और अलमारियों में धुल और धक्के खाती है. वही अगर कोई आतंकी मारा जाता है या पकड़ा जाता है सैनिक मुठभेड़ में तो उसकी गिरफ्तारी को सियासी रंग दे कार वोट बटोरती है. साथ ही अगर आतंकी मरता है तो उलटे सेना के सिपाही और अधिकारीयों को कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी और कोर्ट मार्शल तक झेलना पड़ता है.

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दूसरा मुद्दा
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लाखों टन अनाज सड़ता रहता है बारिश में, सरकार तब भी अपनी तिजोरी भरती है. गरीब और कुपोषित लोग भुखमरी से मरते रहते है. अनाज और दो जून की रोटी तो दूर,सर ढकने के लिए छत भी नहीं होता है उनके पास. सरकार अनाज तो सड़ा कर बर्बाद कर सकती है पर, भूखों का पेट नहीं भर सकती. वही दूसरी तरफ कसाब और गुरु
जैसे आतंकी देश को आर्थिक, सामाजिक, मानसिक, और भावनात्मक हानी पहुंचा रहे है और हमारी कर्तव्यहीन सरकार उन्हें प्रतिदिन पेट भर भोजन और सभी सहुल्तों के साथ सुरक्षा प्रदान कर रही है.

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तीसरा मुद्दा
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गाँधी ने कहा था भारत गावों में बसता है, सरकार गाँव उजाड़ कर शहर पर शहर बसा रही है. और से बात सिर्फ शहर बसने तक ही सिमित नहीं है, इन शहरों को बसने के लिए ये गाँव तो उजड़ते ही है, पर साथ ही उन परिवारों को बेघर और रोज़गारहीन कर देते है जों उन गाँव में रहते है. अगर कोई इंसान उस गाँव में रसूखदार है और सोने पे सुहागा अगर किसी पार्टी का प्रतिनिधि या मेम्बर है और भगवान न करे किसी रूलिंग पार्टी का नेता है या किसी नेता का रिश्तेदार है तो पुरे गाँव
को दरकिनार कर सारा फायदा उस एक इंसान को पहुंचती है.

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चौथा मुद्दा
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स्कूल,कॉलेज और यूनिवर्सिटी  के नाम पर, ये विदेशी शिक्षा और विदेशी संस्था  जों भारत में अपने शैक्षणिक संस्थान खोलने के लाइसेंस और परमिट देते जा रही है वही. भारतीय शिक्षा संस्थानों का स्तर निचा करते हुए, और standard के नाम पर मोटी तगड़ी फीस वसूलते हुए, उन छात्रों को शिक्षा से सीधे सीधे वंचित कर रही है जों की प्रतिभा रखते है पर केवल इस लिए नहीं पढ़ सकते की वो उन संस्थानों की मोटी फीस नहीं चूका सकते. देश में शिक्षा लोन देने की बात तो सरकार करती है, पर जब ऐसे छात्रों को शिक्षा लोन देने की बात आती
है तो हर बैंक कुछ न कुछ सिक्यूरिटी चाहता है. इसपर भी सरकार का ही नियंत्रण है. कई विश्वविद्यालयों में आर्थिक और शैक्षणिक घोटालों और शिक्षा के निम्न स्तर के चलते उनका वार्षिक परिणाम २३% से ३२% के बिच ही बना हुआ है उन पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. सरकार सिर्फ पैसे वसूलती है और खामोश हो जाती है. आई . आई. एम् जैसे संस्थानों की फीस १६ लाख से २० लाख के बिच है, इन छात्रों न फीस में छूट मिलती है न सरकारी सब्सिडी.

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पांचवा मुद्दा
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भारत की शल्य चिकित्सा और आयुरवेदिक चिकित्सा अब पूरा विश्व अपना रहा है और भारतीय डॉक्टर अपनी प्रतिभा से पुरे विश्व में अपना लोहा मनवा चुके है, पर अपने देश में ही डॉक्टरों की कमी है, अस्पतालों की कमी है, बिस्तरों की कमी है. AIIMS, MANIPAL, AMITY, LPU, BHU, BVP और JIPMER जैसे संस्थानों से डॉक्टर तो खूब निकल रहे है पर उनपर सरकार ऐसा कोई भी कानून नहीं लगाती की, MBBS की पढाई करने के तत्पश्चात जब वो उच्च शिक्षा के लिए चाहे कही भी
जाये, उनकी MBBS की डिग्री तभी मान्य होगी जब वो उच्च शिक्षा के पश्चात देश में लौट कर देश में ही अपनी चिकित्सा सेवाएं दे. ५ साल की सेवा के पश्चात वो कही भी जा कर अपनी सेवाएं दे सकते है. देश में न तो मेडिकल कॉलेज बढ़ रहे है और न ही डॉक्टर. जों भी है वो उच्चकोटि की भारतीय शिक्षा के बाद देश छोड़ कर विदेशों में जाकर रह रहे है.

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छठा मुद्दा
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सरकार इंजिनियर भी खूब बना रही है, देश में करीब हर वर्ष ४ लाख इंजिनियर, स्नातक होते है पर, केवल नौकरी के आभाव में और विदेशों की चकाचौंध में देश छोड़ रहे है. वही दूसरी तरफ देश में कई तकनीकी विभागों में कर्मचारी अपनी पेंशन की उम्र में रिटायर हो रहे है पर, उनकी रिक्त जगह भरने के लिए सरकार के पास वक्त नहीं है. यही हाल सेना और सुरक्षा विभागों का है. सेना में ही करीब लगभग ७०,००० अफसर रैंक, ३,७५,००० अन्य रैंक रिक्त है. जिनको भरने के लिए सरकार के पास वक्त नहीं है, हाँ पर घोटालों ले लिए सरकार सरकारी समय के आलावा अतिरिक्त समय जरूर निकाल लेती है.

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सातवा मुद्दा
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भारत देश की अर्थ व्यवस्था को सरकार पुरे विश्व में सबसे मजबूत बताती है, इसके हमे भी किसी प्रकार का शक नहीं है, परन्तु सरकार ने अपनी विदेशी निवेश निति की तहत विदेशी कम्पनियों की निवेश सीमा करीब ३०%, पुरे भारतीय शेयर बाज़ार का निवेश अंश प्रदान किया है. जब जब किसी देश में आर्थिक संकट आता है तो वो देश अपना पूरा विदेशी निवेश भारतीय बाज़ारों से खिंच लेता है,
देखते देखते अन्य देश भी वही करते है और उस कारण हमारी अर्थव्यवस्था चरमराने लगती है, फिर भी सरकार झूठे आश्वाशन देती है और कहती है की हम हर तरह से सक्षम है इस दबाव को सहने के लिए. जिसके कारण भारतीय निवेशक आत्महत्या तक के कगार पर कई बार पहुँच चुके है.

मंगलवार, अगस्त 09, 2011

हमेशा खुश रहो ...............


























ज़िन्दगी  है  छोटी, हर  पल  में   खुश  रहो .…
ऑफिस  में  खुश  रहो, घर  में  खुश  रहो …
आज पनीर  नहीं  है , दाल में  ही  खुश  रहो …
आज जिम जाने का समय नहीं,दो कदम चल के ही खुश रहो …
आज दोस्तों का साथ नहीं,टीवी देख के ही खुश रहो …
घर  जा  नहीं  सकते  तो  फ़ोन  कर  के  ही  खुश  रहो …
आज कोई नाराज़ है,उसके इस अंदाज़ में भी खुश रहो …
जिसे देख नहीं सकते उसकी आवाज़ में ही खुश  रहो …
जिसे   पा  नहीं  सकते  उसके  याद  में  ही  खुश  रहो 
 MBA करने  का  सोचा  था , S/W में  ही  खुश  रहो …
लैपटॉप  न  मिला  तो  क्या , डेस्कटॉप  में  ही  खुश  रहो …
बिता हुआ कल जा चूका है वे मीठी यादें है,उनमे ही खुश रहो ...      आने  वाले  पल  का  पता  नहीं …सपनो  में ही खुश रहो …
हँसते   हँसते  ये  पल  बीतेंगे,आज में  ही  खुश  रहो ....
ज़िन्दगी  है  छोटी , हर  पल  में   खुश रहो.....
एक  बात  याद रखना ....
जिंदगी  और  मौत  तो  उपर  वाले  के  हाथ  में  हे ....
लेकिन  खुश   रहना  तो  हमारे  हाथ  में  है   न ....
इसलिए हमेशा खुश रहो ...............


सोमवार, अगस्त 08, 2011

अनुभवों का निचोड़...........


















यहां हम अनुभवों का निचोड़ कुछ ऐसी कीमती बातें दे रहे हैं जो जिंदगी को गहराई से जानने वाले ज्ञानियों ने नोट की हैं...
1. गुण - न हो तो रूप व्यर्थ है।
2. विनम्रता- न हो तो विद्या व्यर्थ है।
3. उपयोग- न आए तो धन व्यर्थ है।
4. साहस- न हो तो हथियार व्यर्थ है।
5. भूख- न हो तो भोजन व्यर्थ है।
6. होश- न हो तो जोश व्यर्थ है।
7. परोपकार- न करने वालों का जीवन व्यर्थ है।
8. गुस्सा- अक्ल को खा जाता है।
9. अहंकार- मन को खा जाता है।
10. चिंता- आयु को खा जाती है।
11. रिश्वत- इंसाफ को खा जाती है।
12. लालच- ईमान को खा जाता है।
13. दान- करने से दरिद्रता का अंत हो जाता है।
14. सुन्दरता- बगैर लज्जा के सुन्दरता व्यर्थ है।
15. दोस्त- चिढ़ता हुआ दोस्त मुस्कुराते हुए दुश्मन से अच्छा है।
16. सूरत- आदमी की कीमत उसकी सूरत से नहीं बल्कि सीरत यानी गुणों से लगानी चाहिये।



इस संकल्प को लेकर,जीवन पथ पर आगे बढ़ना...............




















फूलों से महक लिए,कलियों से मुस्कुराहट ।
पार्णो से ताज़गी लिए,जीवन पथ पर आगे बढ़ना ।।
पृथ्वी से धर्ये लिए,आकाश से अनंतता ।
नदियों से गतिशीलता लिए,जीवन पथ पर आगे बढ़ना ।।
सागर से गहराई लिए,हिमालय से विशालता ।
वादियों से सुंदरता लिए,जीवन पथ पर आगे बढ़ना ।।
कामयाबी का शिखर है, प्रतीक्षा मे तुम्हारी ।
इन सब को साथ लिए,जीवन पथ पर आगे बढ़ना ।।
इस देश को है ज़रूरत तुम्हारी,देश की रक्षा तुम्हे अब है करनी ।
इस संकल्प को लेकर,जीवन पथ पर आगे बढ़ना ।।


ॐ नमो भगवते वासुदेवाय:



















ऐ श्याम मैं अगर मांगू तो मांगू तुम न दे देना मुझे
तुमने जो दिया मुझे तो प्रेमी नहीं मजदूर हो जाऊंगा मैं ..........
मैं अगर चाहू तो चाहू तुम न मुझको चाहना
तुमने जो चाहा मुझे तो मगरूर हो जाऊंगा मै.........
मैं अगर देखू तो देखू तुम न मुझको देखना
तुमने जो देखा मुझे तो मशहूर हो जाऊंगा.......... मैं .....

घरों से निकलो और इतिहास बना दो.......




















अब फेसबुक,ऑरकुट,ट्विट्टर के साथी भी फेसबुक,ऑरकुट,
ट्विट्टर से बाहर आकर इस भ्रष्ट सरकार के खिलाफ सड़कों 
पे उतर आएं.अब समय मैदान में आकर इस सरकार के विरोध
का है अब यह जन लोकपाल आन्दोलन आर-पार की लड़ाई
बन चुका है.फेसबुक,ऑरकुट,ट्विट्टर से बाहर आयें और इसमें
हिस्सा लें. यह ऐतिहासिक क्षण है.जो तटस्थ रहेगा या घर बैठ
लहरें गिनेगा, भावी पीढ़ी और उनके बच्चे उन्हें माफ नहीं करेंगे. 
घरों से निकलो और इतिहास बना दो.......



रविवार, अगस्त 07, 2011

आप सभी को मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये


















एक अच्छा दोस्त अगर 100 बार भी रूठे तो उसे 100 बार ही मनाओ ,
क्योंकि कीमती मोतियों की माला जितनी बार भी टूटे उसे पिरोना ही पड़ता है |
 
आप सभी को  मित्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाये ..........

शुक्रवार, अगस्त 05, 2011

अभी धरती की शान बाकी है ..................




















 परिंदे  थक गए उड़ते उड़ते ,
बहुत कुछ  आसमान बाकी है !
तेरी साँसों में जिंदगी है बहुत ,
मेरी साँसों में जान  बाकी  है !
इश्क पे कोई जोर चलता नहीं ,
वरना दोनों  जहान बाकी है !
किसी  साहिल पे पाँव मत रखना ,
डूबने  के लिए ये काफी   है !
रोशनी  को बुला के क्या  होगा ,
अभी अँधेरे  की शान  बाकी है !
सौ सवालों  में घिरेंगे  अक्सर ,
जिनमे  इज्जत  - ईमान  बाकी है !
शिखर  पे आ गए बदल  कितने ,
अभी धरती  की शान बाकी है !


गुरुवार, अगस्त 04, 2011

राजीव दीक्षित कौन थे...............

























राजीव दीक्षित एक बहुत महान विद्वान थे भारतीय इतिहास , सामाजिक और आर्थिक व्यवस्थाओं की न सिर्फ बहुत जानकारी थी बल्कि बहुत गहरी समझ भी थी उन्हें . राजीव जी स्वदेशी के समर्थक थे और इसके लिए उनके पास बहुत ही जबरदस्त तर्क थे . जो DATA उनके पास था , उसका आधा भी पूरी भारत सरकार के पास नहीं है . सारा जीवन उन्होंने देश में जन जाग्रति लाने में समर्पित कर दिया . असली पहचान उन्हें तब मिली जब वो रामदेव जी के भारत स्वाभिमान ट्रस्ट से जुड़े . रामदेव जी ने उन्हें एक बहुत अच्छा PLATFORM दिया अपनी जानकारी लोगों के साथ बाँटने के लिए और एक तरह से ट्रस्ट की सारी जिम्मेदारी उनको ही सौंप दी , उनकी अनन्य INTELLIGENCE और जबरदस्त KNOWLEDGE देख कर . लेकिन इससे पहले क़ि वो देश में एक क्रांति के सूत्रधार बन पाते , उनका देहांत हो गया कुछ माह पहले . वैसे कहा तो गया क़ि उनकी मृत्यु HEART ATTACK से हुई , किन्तु आजतक यह बात चर्चा में है क़ि शायद उन्हें विदेशी COMPANIES ने मरवाया (क्यूंकि वो यह पोल खोलते थे क़ि कैसे विदेशी COMPANIES इस देश को कैसे लूट रही हैं और हमारे स्वास्थ के साथ खिलवाड़ कर रही हैं ) क्युंकि मृत्यु के वक्त उनका पूरा बदन नीला हो गया था जो जहर से होता है . बहरहाल उनकी मृत्यु बहुत बड़ी क्षति है देश के लिए .अगर वो होते इस देश को लुटने से अवश्य बचाया जा सकता था ..सबसे बड़ी दुःख क़ि बात यह है क़ि उनकी मृत्यु KI खबर इस बिक़े हुए मीडिया में बिलकुल नहीं दिखाई गयी ... लेकिन हमे यह याद रखना होगा क़ि राजीव दीक्षित कोई व्यक्ति नहीं थे ,अपितु वो एक विचार थे देशभक्ति का , जो कभी नहीं मर सकता , वो जीवित है , जीवित था और जीवित रहेगा करोडो लोगों के दिलों में . हमें उनके बलिदान को खाली नहीं जाने देना , उनके कार्यों को आगे बढ़ाना है और उनके सपनो के भारत का निर्माण करना है .

भारत स्वाभिमान दिवस: तुम मुझे गाय दो, मैं तुम्हे भारत दूंगा

भारत स्वाभिमान दिवस: तुम मुझे गाय दो, मैं तुम्हे भारत दूंगा: "मित्रों शीर्षक पढ़कर चौंकिए मत| मैं कोई नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जैसा नारा लगाकर उनके समकक्ष बनने का प्रयास नहीं कर रहा| उनके समकक्ष बनना तो..."

बुधवार, अगस्त 03, 2011

मै मात् रि चरण से दूर चला............

























♫ मै मात् रि चरण से दूर चला, इसका दारुण संताप मुझे|
पर यदि कर्तव्य विमुख हूंगा, जीने से लगेगा पाप मुझे| 
अब हार जीत का प्रश्न नहीं, जो भी होगा अच्छा होगा|
मरकर ही सही पितु के आगे, बेटे का प्यार सच्चा होगा|
भावुकता से कर्त्तव्य बड़ा, कर्त्तव्य निभे बलिदानों से| 
दीपक जलने की रीत नहीं छोड़े डर कर तूफानों से|
यह निश्चय कर के वीर चला, कोई उसको रोक नहीं पाया
चुप चाप देखता रहा पिता, माता का अंतर भर आया|

मंगलवार, अगस्त 02, 2011

देशभक्त...वन्दे मातरम..........

























लोग कहते हैं की इस देश में क्रिकेट भगवान् है 
सच तो ये है की हमारा देश हमारे लिए भगवान् है
हमारे पूर्वजों के लिए ये भगवान् था और हमारी आने
वाली पीढ़ियों के लिए भी ये भगवान्  है क्योंकि इस 
मिटटी में पैदा होकर जो इस मिटटी का न हो सका वो
 पूरे ब्रह्माण्ड में फिर किसी का नहीं हो सकता."देशभक्त"

UID CARD-यूआईडी : यह कार्ड खतरनाक है

गाय की माता के रुप में पूजा..........




















गाय की माता के रुप में पूजा और सेवा असल में
भावनाओं और जीवन की परवाह का संदेश देती है। 

मानव और प्राणियों दोनों में ही जीवन और जज्बात होते हैं। 
कोई भी व्यक्ति माँ की भावनाओं और तकलीफों को तो महसूस कर लेता हैं। किंतु मूक प्राणी आपनी भावनाओं को जाहिर नहीं कर
सकते। इसलिए गौ पूजन जैसी धार्मिक परंपराएं जीवों के प्रति दया और भावनाओं को बनाए रखने का संदेश देती है..............ऊँ गवये नम:!!!!!