♫ मै मात् रि चरण से दूर चला, इसका दारुण संताप मुझे|
पर यदि कर्तव्य विमुख हूंगा, जीने से लगेगा पाप मुझे|
अब हार जीत का प्रश्न नहीं, जो भी होगा अच्छा होगा|
मरकर ही सही पितु के आगे, बेटे का प्यार सच्चा होगा|
भावुकता से कर्त्तव्य बड़ा, कर्त्तव्य निभे बलिदानों से|
दीपक जलने की रीत नहीं छोड़े डर कर तूफानों से|
यह निश्चय कर के वीर चला, कोई उसको रोक नहीं पाया|
चुप चाप देखता रहा पिता, माता का अंतर भर आया|
हृदयस्पर्शी..... बहुत सुंदर पावन भाव
जवाब देंहटाएं