शुक्रवार, अगस्त 12, 2011

नीतियाँ .................

ब्रह्ममहर्षि वशिष्ट:-हंस दो पंखो के सहारे ही उड़ान भर सकता हैं ठीक वैसे ही मनुष्य  अपनी जीवन रूपी यात्रा एवं उड़ान कर्म और ज्ञान रूपी दो पंखो के सहारे ही कर सकता है  
बृहस्पति :-कार्य का आरम्भ करो तो उसका अंत करके ही विश्राम करो अन्यथा कार्य ही तुम्हारा अंत कर देगा.. 
शुक्र:
ये तो कार्य का परिणाम ही बता सकता है कि कार्य का आरम्भ शुभ था कि अशुभ ............
भगवान परशुराम :-शिक्षक से आचार्य का अधिकार 10 गुना हैं ,पिता का अधिकार आचार्य से 100 गुना हैं ,परन्तु माता का अधिकार पिता से सहस्त्र गुना अधिक है .

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें