शुक्रवार, अगस्त 05, 2011

अभी धरती की शान बाकी है ..................




















 परिंदे  थक गए उड़ते उड़ते ,
बहुत कुछ  आसमान बाकी है !
तेरी साँसों में जिंदगी है बहुत ,
मेरी साँसों में जान  बाकी  है !
इश्क पे कोई जोर चलता नहीं ,
वरना दोनों  जहान बाकी है !
किसी  साहिल पे पाँव मत रखना ,
डूबने  के लिए ये काफी   है !
रोशनी  को बुला के क्या  होगा ,
अभी अँधेरे  की शान  बाकी है !
सौ सवालों  में घिरेंगे  अक्सर ,
जिनमे  इज्जत  - ईमान  बाकी है !
शिखर  पे आ गए बदल  कितने ,
अभी धरती  की शान बाकी है !


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