इन्टरनेट के विभिन्न साईट में, ग्रुप में प्रायः यही पढ़ने मिल रहा है
जिसमें कोई किसी धर्म, परम्पराओं, पंथ-मतों की आलोचना में
अपनी पूरी शक्ति लगा रहा है, कोई किसी राजनैतिक भाषा में निंदा
कर रहे हैं, कोई किसी संत की बखिया उधेड़ने में पूरा जोश और
उत्साह खर्च कर रहे हैं . काश इस निंदा-आलोचना की अपेक्षा उनमें
कुछ अच्छाइयां सूंघ लें तो स्वयं को भी कुछ सीख पाकर आगे बढ़ने
का मार्ग प्रशस्त होता.. संत सुकरात से मिलने गए एक भक्त ने
सुकरात से प्रश्न किया- " महात्मन ! चन्द्रमा में कलंक और दीपक
तले अँधेरा क्यों रहता है ?" सुकरात ने उस भक्त से पूछा - " अच्छा
तुम यह बताओ- तुम्हें दीपक का प्रकाश और चन्द्रमा की ज्योति
क्यों नहीं दिखाई देती ?" भक्त ने विचार किया - सचमुच संसार में
हर वस्तु में अच्छे और बुरे दो पहलु हैं. जो अच्छा पहलु देखते हैं,
वे अच्छाई और जिन्हें केवल बुरा पहलु देखना आता है वे बुराई
संग्रह करते हैं..
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