सोमवार, दिसंबर 05, 2011

यह प्यार क्या है ?


















ब भी प्यार की बात होती है सब लोग सिर्फ एक लड़की और एक लड़के में होने वाले आकर्षण को ही प्यार मान लेते हैं. परन्तु प्यार वो सुखद अनुभूति है जो किसी को देखे बिना भी हो जाती है. एक बाप प्यार करता है अपनी औलाद से, पति करता है पत्नी से, बहन करती है भाई से, यहाँ कौन ऐसा है जो किसी न किसी से प्यार न करता हो. चाहे वह किसी भी रूप में क्यों न हो, प्यार को कुछ सीमित शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता. प्यार फुलों से पूछो जो अपनी खुशबु को बिखेरकर कुछ पाने की चाह नही करता, प्यार क्या है यह धरती से पूछो जो हम सभी को पनाह और आसरा देती है. इसके बदले में कुछ नही लेती, प्यार क्या है आसमान से पूछो जो हमे अहसास दिलाता है कि -हमारे सिर पर किसी का आशीर्वाद भरा हाथ है. प्यार क्या है सूरज की गर्मी से पूछो. प्यार क्या है प्रकृति के हर कण से पूछो  जवाब मिल जायेगा. प्यार क्या है सिर्फ एक अहसास है जो सबके दिलों में धडकता है. प्यार एक ऐसा अहसास है जिसे शब्दों से बताया नहीं जा सकता, आज पूरी  दुनिया प्यार पर ही जिन्दा है, प्यार न हो तो ये जीवन कुछ भी नहीं है. प्यार को शब्दों मैं परिभाषित नहीं किया जा सकता, क्योंकि अलग- 2 रिश्तों के हिसाब से  प्यार की अलग-2 परिभाषा होती है. प्यार की कोई एक परिभाषा देना बहुत मुश्किल है. यदि आपके पास कोई एक परिभाषा हो तो आप बताओ ? 
प्यार की परिभाषा नहीं दी जा सकती है, क्योंकि प्यार को अनुभव तो कर सकते है. लेकिन बता नहीं सकते जैसे-गूंगे को गुड खिला दो तब गूँगा गुड की मिठास को जान जायेगा.मगर उसको अगर पूछो तब वह बता नहीं सकता है. ठीक इसी तरह प्यार है. प्यार का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होता है. इसलिए प्यार को एक परिभाषा में बांधना मुश्किल है. आप प्यार को एक लगाव कह सकते है. एक अशक्ति ही है प्यार. धार्मिक लोग उसे मोह  कहते है.
प्यार के अनेक रूप होते है जैसे-प्यार, प्रेम, आकर्षण, त्याग, बलिदान, तपस्या, दया, सम्मान, विश्वास, अहसास, स्नेह, जिंदगी, सजा, ईनाम, कला, जनून, कलंक, पूजा, कफन, बदनामी, समर्पण, अंधा, सौदर्य, दोस्ती, सच्चाई, मिलन, हवस, डर, वासना, इंसानियत, समाज, ईश्वर, ममता, पागलपन, तकलीफ, मौत, इच्छा, देखभाल, धोखा, नशा, दर्द, समझौता, शहर, मुसीबत, स्वप्न, खतरा, हथिहार, बीमारी, लडूडू, दवा, इबारत, दीवानापन, जिंदगानी, जहर, माता-पिता, जन्नत, मंजिल, हार-जीत, खेल, तन्हाई, जवानी, तोहफ़ा, जादू, नाज-नखरे, उपहार, चमत्कार आदि प्यार के ही कुछ रूप है. प्यार एक आजाद पंछी है. जो पूरे आसमां में स्वतंत्र उड़ता है. जो किसी के रोके रुकता नहीं है. प्यार एक आग का दरिया है जो डूबकर पार किया जाता है. प्यार एक कठिन डगर है जिसपर कोई साहसी ही चल सकता है.
प्यार जितना खुबसूरत शब्द है यह उतना ही इंसान को अच्छा भी बनाता है.प्यार जीना सिखाता है. क्या यह प्यार है? जब आपका आंसू किसी और की आँख में आये. वो प्यार है. प्यार जो हर पल आपका ख्याल रखे वो प्यार है. प्यार जो खुद भूखा रहकर पहले आपको खिलाये वो प्यार है. प्यार जो रात-रात भर जागकर आपको सुलाए वो प्यार है. जो अगर चोट आपको लगे तब दर्द उसको कहूँ या किसी दूसरे को हो वो प्यार है और हम ऐसे प्यार की अहमियत नहीं समझ पाते हैं. प्यार न तो दिल का चैन है, न दिल का रोग. प्यार निभाना उन लोगो के लिए कठिन नहीं है, जो सच्चे दिल से प्यार करते है. प्यार एक अनमोल रत्न है. जिसने इसकी परख कर ली, वो जिन्दगी में हर पल खुश और जो परख न कर पाया वो गम में जीते जी जिन्दा लाश बन जाता है. प्यार क्या है ? क्या जानते है ? कैसे होता है ? कितनी सारी बाते है ? प्यार पूजा है. प्यार भगवान् का ही दूसरा नाम है. करते हम प्यार की बात है, लेकिन प्यार से ही दूर भागते है.
प्यार, जिंदगी की सबसे बड़ी सजा है और ईनाम भी. बस कर्म सबके अपने-अपने होते है. प्यार किसे सजा के रूप में मिलता है और किसे ईनाम के रूप में. प्यार कुछ पाने का नाम नहीं-प्यार में सिर्फ दिया जाता है कुछ पाने की भावना रखना प्यार नहीं स्वार्थ ही कहलाता है. अत: प्यार को कोई परिभाषित नहीं कर सकता हैं. प्यार को परिभाषित करना एक असंभव कार्य है, क्योंकि प्यार अनन्त है.


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