गुरुवार, फ़रवरी 23, 2012

योग का विराट और व्यापक स्वरुप.......


















"जब हम योगाभ्यास करते हैं तो बाहरी आलंबन
 नहीं लेने पड़ते हैं अपितु हमारे भीतर से ही हारमोंस
 का श्राव होने लगता है |हमारी रासायनिक प्रक्रिया
 संतुलित हो जाती है |शरीर का Anabolism ,
Catabolism,Metabolism rate
अर्थात वात् ,पित्त ,कफ सम अवस्था मे आ जाते हैं ,
मन शांत हो जाता है ,गहरा संतोष भीतर से मिलता है |
अतः सारा अवसाद दूर हो जाता है तथा भगवदीय कृपा 
के प्रसाद से जीवन मे पूर्णता की अनुभूति होने लगती है ,
यही योग का विराट या व्यापक स्वरुप है |"

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