"जब हम योगाभ्यास करते हैं तो बाहरी आलंबन
नहीं लेने पड़ते हैं अपितु हमारे
भीतर से ही हारमोंस
का श्राव होने लगता है |हमारी रासायनिक प्रक्रिया
संतुलित हो जाती है |शरीर का Anabolism ,
Catabolism,Metabolism rate
अर्थात वात् ,पित्त ,कफ सम अवस्था मे आ जाते हैं ,
अर्थात वात् ,पित्त ,कफ सम अवस्था मे आ जाते हैं ,
मन शांत हो जाता है ,गहरा
संतोष भीतर से मिलता है |
अतः सारा अवसाद दूर हो जाता है तथा भगवदीय कृपा
के प्रसाद से जीवन मे पूर्णता की अनुभूति होने लगती है ,
यही योग का विराट
या व्यापक स्वरुप है |"
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