शनिवार, नवंबर 10, 2012

ले आतिशबाजी न करने का संकल्प.......


















 आज प्रकृति असंतुलित  हो रही है,इसके  लिए मानव ही जिम्मेदार है।
ऐसे में हमें सचेत हो जाने की आवश्यकता है।दीपावली 
अध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण है,साथ ही वैज्ञानिक रूप से
भी इसका महत्व है,तेल व घी से दिए जलाये जाते है,इससे 
वातावरण शुद्ध होता है,और कीड़े -मकोड़े मरते है,पटाखा छोड़ने 
का बहुत ही खतरा है,इससे निकलने वाला गैस भी हानिकारक है।
दीपावली दीयों का पर्व है न की आतिशबाजी का,आतिशबाजी का 
बहुत ही नुकसान है,रात भर आतिशबाजी से लोगों की नींद हराम 
 होती है,लोगों को  साँस लेने में परेशानी होती है,इससे पैसे की 
बर्बादी होती है,आतिशबाजी से हमें बचना चाहिए और हम सभी 
को आतिशबाजी न करने का संकल्प लेना चाहिए ....

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