मंगलवार, मार्च 19, 2013

जीवन और मृत्यु







































मुझे कहा गया है कि मैं जीवन और मृत्यु के संबंध में बोलूं।
 यह असंभव है बात। प्रश्न तो है सिर्फ जीवन का और मृत्यु 
जैसी कोई चीज ही नहीं है। जीवन ज्ञात होता है, तो जीवन
 रह जाता है। और जीवन ज्ञात नहीं होता, तो सिर्फ मृत्यु
 रह जाती है।
मनुष्य मृत्यु नहीं है, मनु्ष्य अमृत है। समस्त जीवन 

अमृत है। लेकिन हम अमृत की ओर आंख ही नहीं उठाते।
 हम जीवन की तरफ, जीवन की दिशा में कोई खोज ही 
नहीं करते हैं, एक कदम भी नहीं उठाते। जीवन से रह जाते हैं 
अपरिचित और इसलिए मृत्यु से भयभीत प्रतीत होते हैं।
 इसलिए प्रश्न जीवन और मृत्यु का नहीं है, प्रश्न है सिर्फ जीवन का।.........

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