गुरुवार, अप्रैल 25, 2013

श्रीरुद्राष्टकम्


















नमामीशमीशान निर्वाणरूपं, विभुं व्यापकं ब्रह्म वेदस्वरूपं।
निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं, चिदाकाशमाकाशवासं भजेsहं।।


अर्थात्, हे ईशान ! 
मैं मुक्तिस्वरूप,समर्थ,सर्वव्यापक,ब्रह्म,वेदस्वरुप,निजस्वरूप में स्थित,निर्गुण,निर्विकल्प, निरीह,अनंत ज्ञानमय और आकाश के समान सर्वत्र व्याप्त प्रभु को प्रणाम करता / करती हूँ।। १ ।।
Please visit this site & gain natural health & complete health solution...  http://healthconsultant.in

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें